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सिस्टर हिल्दा एक्का बनी मिसाल, उनकी इच्छानुसार मृत्यु के बाद परिजनों ने किया नेत्रदान

जशपुर जिले में पहली बार किसी ने नेत्रदान किया है। हिल्दा एक्का के इस परोपकार से अंधेरी जिंदगी में उजाला ही नहीं समाज की सोच में भी बदलाव की जमीन तैयार होगी।

रायपुर-नर्स के रुप में जीवन भर लोगों की सेवा करने वाली सिस्टर हिल्दा एक्का जाते-जाते भी दो लोगों की जिंदगी रोशन कर गई। जशपुर जिले के सरकारी अस्पताल से सेवानिवृत्त 69 वर्ष की सिस्टर हिल्दा एक्का के आज निधन के बाद उनकी इच्छानुसार परिजनों ने नेत्रदान करवाया। जशपुर जिले में पहली बार किसी ने नेत्रदान किया है।

स्वास्थ्य विभाग से जुड़ी हुईं, शुरू से सेवाभावी सिस्टर हिल्दा एक्का अपनी मौत के बाद भी लोगों को नेत्रदान के प्रति जागरूक कर गईं। उनके परिवार ने मृत्यु उपरांत समय पर सूचित कर नेत्र बैंक के माध्यम से नेत्रदान सुनिश्चित कराया।

नेत्रदान की जानकारी देते हुए जशपुर के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी ने बताया कि सिस्टर हिल्दा एक्का नौकरी से सेवानिवृत्ति के बाद अपने परिवार के साथ रह रही थीं। उनकी मृत्यु के बाद परिजनों ने कार्यालय को उनकी अंतिम इच्छा नेत्रदान के बारे में जानकारी दी। जिला अस्पताल से तुरंत एक टीम तैयार कर उनकी आंखों को सुरक्षित निकालकर नेत्र चिकित्सालय के नेत्र बैंक पहुंचाया गया है। उनके इस पुनीत कार्य से दो व्यक्तियों को आंख की रोशनी दी जा सकेगी। हिल्दा एक्का के इस परोपकार से अंधेरी जिंदगी में उजाला ही नहीं समाज की सोच में भी बदलाव की जमीन तैयार होगी।

नेत्ररोग विशेषज्ञ एवं राज्य अंधत्व नियंत्रण कार्यक्रम के उपसंचालक का कहना है कि मृत्यु के 6 घंटे के भीतर आंख को निकालकर सुरक्षित रखना जरूरी है। इसे 24 घंटे के अंदर नेत्र बैंक पहुंचाना होता है। इसके बाद दान से प्राप्त आंख का यथाशीघ्र प्रत्यारोपण किया जाना होता है। अब तक राज्य में कुल 1069 लोगों की आंख की कार्निया में किसी न किसी तरह की सफेदी की समस्या पाई गई है। राज्य में अब तक 110 लोगों ने नेत्रदान की घोषणा की है।

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