नवजीवन के तहत विभिन्न स्कूलों में कार्यशाला आयोजित-

नवजीवन के माध्यम से मानसिक तनाव को कम करने के लिये स्कूलों में विद्यार्थियों को दिया गया सन्देश

महासमुन्द :जिला प्रशासन की नई पहल नवजीवन के अंतर्गत कलेक्टर सुनील कुमार जैन के निर्देश पर अनुभगीय अधिकारी (राजस्व) महासमुंद सुनील कुमार चंद्रवशी, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ.एस.पी.वारे एवं जिला कार्यक्रम प्रबन्धक  संदीप ताम्रकार के निर्देशन पर अपरान्ह एक बजे आशी बाई गोल्छा उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में 200 बच्चों को नवजीवन के माध्यम से प्रेरित किया गया। प्राचार्य  गोविंद सिंन्हा, चंद्रशेखर मिथलेश, नरेश कुमार शिक्षक उपस्थित थे। इसी प्रकार अपरान्ह 3.00 बजे आदर्श उच्चतर माध्यमिक विद्यालय महासमुंद में लगभग 150 बच्चों ने कार्यशाला में भाग लिया। इस दौरान  हेमंत आचार्य उप प्राचार्य, जगेश्वर सिन्हा समन्वयक बृजराज स्कूल, भेष लाल ठाकुर, रघुनाथ सिन्हा, चमन चंद्राकर, डॉ. संध्या चंद्राकर उपस्थित थें.

इस संबंध में बताया गया कि 24 अक्टूबर 2019 को शासकीय डी एम एस उच्चतर माध्यमिक विद्यालय महासमुंद में 52 बच्चों ने नवजीवन कार्यशाला में भाग लिया। इस दौरान शशि प्रभा थिरे प्राचार्य, आरती झा ब्याख्याता उपस्तिथित थे। उन्होंने शारीरिक तनाव के साथ साथ मानसिक तनाव को कम करने के मन्त्र सीखे, साथ ही जीवन में सफलता हासिल करने के लिये कुछ मुश्किल प्रश्नों का उत्तर मिला जिससे बच्चों खुश हुए। बच्चों के परिवार में कितने लोग नशा का सेवन करते है, तो बच्चो का जवाब था कि 60 से 70 प्रतिशत परिवार में नशा किया जा रहा है। कुछ स्कूलों के शिक्षक इन बच्चों को मोटीवेट कर रहे है, जिससे उनके स्कूल में बब्चो के परिवार में नशा का स्तर कम देखा गया है.

इसी प्रकार शिशु संस्कार उच्चतर माध्यमिक विद्यालय महासमुंद में 140 बच्चों ने कार्यशाला भाग लिया। इस दौरान  समीर चौधरी प्राचार्य,  सुनीता बानी, आदित्य सोनी, मनी चंद्रकांता ठाकुर, रजेस्वरी गुप्ता, नम्रता पांडेय, डी पी साहू उपस्थित थे। नवजीवन, मानसिक तनाव प्रबंधन, जीवन कौसल विकास एवं आत्महत्या रोकथाम पर क्विज प्रतियोगिता आयोजित किया गया.नवजीवन के माध्यम से मानसिक तनाव से जूझ रहे बच्चों में मानसिक तनाव को कम करने जीवन कौसल विकास पर जोर दिया गया। इसके तहत उन्हें सात के पहाड़ा, गिनती और बलून के माध्यम से सीखया गया, खेल खिला कर उन्हें प्रेरित किया गया। इसके अलावा सखी-सखा, प्रेरक की भूमिका को बताया गया। नवजीवन के माध्यम से बच्चे भलीभांति प्रेरित हुए और उन्होंने कहा कि हम भी गांव में जाकर उनसे कन्धों से कन्धा मिलाकर काम करेंगे। घर-परिवार समाज में फैली कुरीतियां, नशा से होने वाले स्वास्थ्य एवं मानसिक तनाव को कम करने का प्रयास करेंगे.

ग्राम पंचायत में नवजीवन केंद्र में जाकर हम खेलेंगे और जीवन का आनंद लेंगे, जिससे हमको पढ़ने-लिखने मे रुचि जागृत होगी, साथ ही मानसिक विकास होगा। बच्चों ने बताया कि हम भविष्य का नागरिक बनेगे और समाज के विकास के साथ-साथ देश के विकास में हमारी मह्त्व पूर्ण भुमिका निभायेंगे। राम गोपाल खूँटे मनोचिकित्सा समाजिक कार्यकर्ता ने आत्म हत्या के प्रायस को बताय की केसे पहचान्ने है हमारे घर आस पास एसे ब्यवहार करे तो सखी सखा प्रेरक के माध्यम से मानसिक रोग चिकित्सालय में सम्पर्क करेंगे ताकी उनके नवजीवन हो सके। टोल फ्री नम्बर 104 से मानसिक तनाव को कम करने का सहरा ले सकते है। कार्यशाला में बच्चों को आपसी सामंजस्य स्थापित करने को कहा गया। बच्चों को समय का प्रबंधन, नियमित दिन चर्या में सुधार लाने, योग साधना ब्यायांम का भी सहारा लेने, खान-पान पर विशेष ध्यान देंने के लिए कहा गया । मोबाईल का उपयोग कम से कम करने पर जोर दिया गया, जिससे मानसिक तनाव कम होगी और खुशनुमा जिन्दगी होगी.